हिसाब तो जाने के बाद ही होता है
कौन कहता है कि जाने से पहले हिसाब होता है
हिसाब तो जाने के बाद ही होता है
चाय की चुस्कियाँ और हिसाब
बातों में खोए उन ख़यालों का हिसाब
किताब के कितने पन्नो के बाद
तुम्हारा ख़त मिला
कितनों के बाद मेरा इसका हिसाब
शोर के बीच की ख़ामोशियों में
कितने अल्फ़ाज़ तुमने भरे कितने मैंने
उसका हिसाब
तुम्हारी हर झलक पे दिल ने कितनी
धड़कने खोई
उसका हिसाब
मेरा चेहरा ना दिखने पे तुम्हारी उन
आहों का हिसाब
उन बे-सिर पैर की बातों पे
खिलखिलाहटों का हिसाब
रात को तकिए को भीगोते
आँसुओं का हिसाब
उन चीख़ती चिल्लाती लड़ाईयों में
अनकही बातों का हिसाब
जाते हुए मुड़कर ना देखा जिन्होंने
उन क़दमों का हिसाब
उस चाय के कप में ठंडी होती उस
चाय का हिसाब
प्लेट में बाक़ी उस आधे समोसे का हिसाब
तुम्हारा कुर्ते की उस फटी जेब का हिसाब
जो याद नहीं लड़ते हुए फटा या
उस रात के जुनून में
मेरी सुर्ख़ आँखो के सवालों का हिसाब
तुम्हारे रूष्ठ होंठों के जवाबों का हिसाब
हिसाब तो जाने के बाद ही होता है
पहले तो इश्क़ होता है
और उस इश्क़ में भीगा हमारा रिश्ता
और जाने के बाद
बस अधूरी बातें
पुरानी यादें
वो बिल
और हिसाब
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