दादी

परियों के क़िस्से
भूतों की कहानी
पापा की शरारतें
दिलचस्प घरेलू नुस्ख़े

ये सब छुपा था दादी के पिटारे में

घी चुपड़ी हुई पराठियाँ
थूम अदरक की वो सब्ज़ी
सर्दी में वो बादाम काजू की पिन्नी
और जिद्द करने पर घी वाली मैगी

ये सब मिलता था दादी की रसोई में

रात की वो हल्की सी थपकी
या सिर सहला मुझे सुलाना
सर्दी के लिए वो गरम शीरा
या गरमी में वो ठण्डी शिकंजी

ये सब था दादी के हाथों का कमाल

बँटवारे के वो अशांत करने वाले क़िस्से
दादा जी की तस्वीर के सामने दादी की वो शांति
बच्चों के लिए लाड़
मायक़े के लिए वो भूला बिसरा अपनापन

ये सब था दादी की बूढ़ी आँखों की झुर्रियों में

मुट्ठी भर सफ़ेद बालों का छोटा जूड़ा
झुकी हुई दुखती कमर
बाँह पर सुइयों के अनगिनत निशान
लक़वे से बेजान पड़ा आधा शरीर

ये था दादी के आख़िरी दिनों का हाल

चुपके से कुछ कह जाती उनकी पुरानी तस्वीर
उसमें से मीठी मुस्कान
उस से आती अनगिनत यादें
और उसी में छुपा प्यार
दादी का प्यार हम बच्चों के लिए
और उसे देख कर हमारा प्यार उनके लिए
जो हम कभी जता नहीं पाये

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